पृथ्वी की घूर्णन गति में परिवर्तन : डेली करेंट अफेयर्स


पृथ्वी की घूर्णन गति में परिवर्तन : डेली करेंट अफेयर्स

  • पिछले 50 सालों में किसी भी समय की तुलना में देखें तो हमारी पृथ्वी अब ज्यादा तेजी से घूम रही है।
  • वैज्ञानिक अब यह पता लगाने में जुटे हैं कि इसके क्या प्रभाव हो सकते हैं और इसके मुताबिक अपने आप को कैसे एडजस्ट किया जाए।
  • इस समय धरती सामान्य गति से तेज चल रही है।
  • धरती 24 घंटे से पहले अपनी धुरी पर एक चक्कर पूरा कर रही है। धरती में ये बदलाव पिछले साल के मध्य में आया था।
  • पृथ्वी सौरमंडल का एक ग्रह है जो दो तरह से घूमती है – घूर्णन और परिक्रमण।
  • घूर्णन यानी Rotation को दैनिक गति भी कहते हैं जबकि परिक्रमण यानी Revolution को वार्षिक गति कहते हैं।
  • अपने दैनिक गति में पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूरब की ओर घूमती रहती है। इसे एक घूर्णन पूरा करने में 23 घंटे, 56 मिनट और 4.09 सेकेंड का समय लगता है।
  • पृथ्वी की दैनिक गति की वजह से ही दिन और रात होते हैं।
  • अपने वार्षिक गति में पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा 365 दिन 6 घंटे 48 मिनट और 45.51 सेकेंड में पूरा करती है।
  • इस वार्षिक गति की वजह से मौसम बदलते हैं।
  • पिछले साल जून से लेकर अब तक धरती अपनी धुरी पर ज्यादा तेजी से घूम रही है। धरती इस समय लगभग 24 घंटे में 0.5 मिलीसेकंड कम समय लेकर घूम रही है।
  • यानी हमारे 24 घंटे में 0.5 मिलीसेकंड कम हो चुके हैं। इसकी वजह से धरती पर मौजूद सभी देशों का समय बदल जाता है।
  • साइंटिस्ट्स को अपनी-अपनी जगहों पर मौजूद एटॉमिक क्लॉक का समय बदलना पड़ेगा।
  • यानी इस बार साइंटिस्ट्स को निगेटिव लीप सेकेंड अपनी-अपनी घड़ियों में जोड़ना पड़ेगा।
  • बता दें कि साल 1970 से अब तक कुल मिलाकर 27 लीप सेकंड जोड़े जा चुके हैं।
  • आपको बता दें कि परमाणु घड़ी एक ख़ास किस्म की घड़ी होती है जो ठीक उसी फ्रिक्वेंसी पर काम करती हैं जैसे पेंडुलम वाली घड़ियां चलती हैं।
  • जिस तरह पेंडुलम तापमान और प्रेशर के आधार पर काम करता है, उसी तरह परमाणु घड़ियां भी परमाणु कणों के कंपन के आधार पर काम करती हैं।
  • इस घड़ी के अंदर सीजियम धातु के परमाणु ठीक वैसे ही इलेक्ट्रिक के जरिए कंपन करते हैं जैसे दीवार घड़ी में पेंडुलम में कंपन करते हैं। ये समय को सबसे सटीकता से नापने में सक्षम होती है।
  • परमाणु घड़ी के आधार पर समय मापने और पृथ्वी के चक्कर लगाने के आधार पर समय मापने में हुए अंतर को खत्म करने के लिए ग्रीनविच मीन टाइम में जोड़ा या घटाया जाने वाला एक सेकंड लीप सेकंड कहलाता है।
  • जब सेकंड जोड़ा जाता है तो इसे पॉजिटिव लीप सेकंड कहते हैं और जब सेकंड घटाया जाता है तो इससे नेगेटिव लीप सेकंड कहते हैं।
  • पिछले 50 सालों से धरती के घूमने का एकदम सही आंकड़ा निकाला जा रहा है।
  • 24 घंटे में 86,400 सेकेंड्स होते हैं। यानी इतने सेकेंड में हमारी धरती एक चक्कर पूरा करती है।
  • लेकिन पिछले साल जून से 86,400 सेकेंड में 0.5 मिलीसेकंड की कमी आ गई है। 19 जुलाई 2020 का दिन 24 घंटे से 1.4602 मिलीसेकंड कम था।
  • 2020 से पहले सबसे छोटा दिन 2005 में था। लेकिन पिछले 12 महीनों में ये रिकॉर्ड कुल मिलाकर 28 बार टूटा है।
  • समय का यह बदलाव सिर्फ परमाणु घड़ी पर ही देखा जा सकता है। लेकिन इसकी वजह से कई सारी दिक्कतें आ सकती हैं।
  • हमारी संचार व्यवस्था में काफी दिक्कत आ सकती है। क्योंकि हमारे सैटेलाइट्स और संचार यंत्र सोलर टाइम के अनुसार सेट किया जाते है।
  • ये समय तारों, चांद और सूरज के पोजिशन के अनुसार सेट की जाती है।
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