गोवा में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code in Goa)

- भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने हाल ही में भारत में समान नागरिक संहिता रखने वाले एकमात्र राज्य गोवा की प्रशंसा की।
- इसकी वजह से समान नागरिक संहिता फिर से एक बार चर्चा के केंद्र बिंदु में आ गयी है।
- हालांकि साल 2018 में विधि आयोग ने इस बात पर सहमति जाता दी थी की समान नागरिक संहिता की न तो भारत में ज़रुरत है और ना ही इसकी कोई सूरत नज़र आती है।
- हिन्दू विधि सुधार आयोग 1941 के आधार पर किसी भी विशेषज्ञ समिति का गठन अभी तक नहीं किया गया है न ही किसी भी तरह का इसके मद्देनज़र कोई खाका ही तैयार किया गया है।
- मुख्य न्यायाधीश ने बुद्धिजीवियों से गोवा के समान नागरिक संहिता को गंभीरता पूर्वक अध्ययन करने का निवेदन किया।
- यहां तक की सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने 2019 के जोस पाउलो कोटिन्हो फैसले में गोवा को समान नागरिक संहिता के सुनहरे उदहारण के तौर पर देखा था।
- न्यायाधीश दीपक गुप्ता ने गोवा की नागरिक संहिता को गोवा के बाहर स्थित सम्पत्तियों के मामले में भी भारतीय उत्तराधिकार कानून के ऊपर लागू करने की सलाह दी।
- गोवा की पुर्तगाली नागरिक संहिता 1867 दरअसल में एक विदेशी संहिता है जिसे पुर्तगालियों द्वारा वज़ूद में लाया गया था।
- इसकी निरंतरता और तमाम अन्य कानून जैसे हिन्दू विवाह अधिनियम 1955, और हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 या भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1924 या शरीयत कानून 1937 और मुस्लिम विवाह अधिनियम 1939 का गोवा में ख़त्म किया जाना दरअसल में न्यायिक बहुलवाद का सबसे अच्छा उदाहरण है।
- यह एक राष्ट्र और एक कानून की अवधारणा का भी खंडन करता है।
- गोवा की नागरिक संहिता के चार हिस्से है जो नागरिक क्षमता , अधिकारों के अधिग्रहण संपत्ति के अधिकार और अधिकारों और उनके निराकरण के भांग होने जैसे मामलों से निपटते हैं।
- इसकी शुरुआत भगवान् के नाम और डॉम लुइस पुर्तगाल के राजा और अल्गार्वेस के नाम से होती है।
- हालांकि भारत की संविधान सभा ने एच वी कामत के संविधान में भगवान के नाम को शामिल करने के मसौदे को खारिज कर दिया था।
- यह संहिता गोवा दमन और दीव प्रशासनिक अधिनियम 1962 के खंड 5(1) के चलते अभी तक अस्तित्व में है।
- इसके विपरीत जम्मू कश्मीर पुनर्निर्माण अधिनियम 2019 ने स्थानीय हिन्दू रीति रिवाज़ों और यहां तक की कश्मीरी मुस्लिम भी गैर इस्लामी कानून और रीति रिवाज़ों से प्रशासित होते आ रहे हैं।
- समान नागरिक संहिता का अर्थ है कि देश में मौजूद सभी धर्म, लिंग, जाति या अन्य वर्ग के लोगों के शादी, उत्तराधिकार, दहेज, संपत्ति या अन्य सिविल मामलों के लिए एक समान कानूनी व्यवस्था।
- यह तीन शब्दों से मिलकर बना है यूनिफॉर्म, सिविल, कोड में ‘यूनिफॉर्म’ का मतलब है सभी लोग सभी परिस्थितियों में समान हैं जबकि ‘सिविल’ लैटिन शब्द ‘civils’ से लिया गया है जिसका अर्थ सिटीज़न होता है।
- वहीं लैटिन शब्द ‘codex’ यानी ‘कोड’ का मतलब किताब से है।
- समान नागरिक संहिता का आशय है कि सभी नागरिकों के लिए सभी परिस्थितियों में एक समान नियम जो एक ही पुस्तक में संहिताबद्ध हों।
- इस संहिताबद्ध किताब में किसी जाति, धर्म, लिंग, जन्मस्थान आदि के आधार पर सिविल मामलों में किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो।
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