गुरुत्वीय लेंसिंग से पहली बार बहुत बड़े ब्लैक होल की खोज


गुरुत्वीय लेंसिंग से पहली बार बहुत बड़े ब्लैक होल की खोज

चर्चा में क्यों

  • खगोलविदों ने गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग का उपयोग करते हुए एक बहुत भारी कृष्ण विवर या ब्लैक होल की खोज की है।

ब्लैक होल की खोज के लिए शोधकर्ताओं द्वारा किस तकनीक का उपयोग किया जाता है?

  • शोधकर्ताओं ने गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग नामक एक तकनीक का इस्तेमाल किया।
  • इस तकनीक ने उन्हें बारीकी से यह जांचने में सक्षम बनाया कि पृथ्वी से करोड़ों प्रकाश-वर्ष दूर एक आकाशगंगा के अंदर एक ब्लैक होल द्वारा प्रकाश कैसे मोड़ा जाता है।
  • ब्लैक होल के आकार की पुष्टि करने के लिए हबल स्पेस टेलीस्कॉप द्वारा कैप्चर किए गए सुपरकंप्यूटर सिमुलेशन और छवियों का भी उपयोग किया गया था।

खोज का महत्व

  • खोजा गया ब्लैक होल हमारे सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 30 बिलियन गुना है
  • जो अभी तक खोजे गए ब्लैक होल्स में सबसे बड़ा ब्लैक होल है ।
  • गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग विधि इसलिए भी काफी अहम् है
  • इसके माध्यम से निष्क्रिय ब्लैक होल्स का भी पता आसानी से लगाया जा सकता है।
  • हालाँकि अभी तक अन्य तरीकों से ऐसा करना मुमकिन नहीं था ।

क्या है गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग

  • गुरुत्विय लेंस अंतरिक्ष में किसी बड़ी वस्तु के उस प्रभाव को कहते हैं जिसमें वह वस्तु अपने पास से गुज़रती हुई रोशनी की किरणों को मोड़कर एक लेंस जैसा काम करती है।
  • भौतिकी के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत की वजह से कोई भी वस्तु अपने इर्द-गिर्द के व्योम (“दिक्-काल” या स्पेस-टाइम) को मोड़ देती है और बड़ी वस्तुओं में यह मुड़ाव अधिक होता है।
  • जिस तरह चश्मे, दूरबीन के मुड़े हुए शीशे से गुज़रता हुआ प्रकाश भी मुड़ जाता है,
  • उसी तरह गुरुत्वाकर्षण लेंस से गुज़रता हुआ प्रकाश भी मुड़ जाता है।
Share:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *