भारतीय कला में क्या है मंडला चित्रकला (Mandla Art)

चर्चा मे क्यों :
- हाल ही मे लिवरपूल के निवासियों ने मंडला चित्रकारी का नायाब नमूना प्रस्तुत किया है
- लिवरपूल के निवासियों ने इस चित्र कला की डेढ़ फुटबाल पिचों के बराबर आकार की डिजाइन बनायी है
- इसे कलाकार जेम्स ब्रंट ने पत्तियों और चट्टानों जैसी सामग्री से बनाया है।
मंडला क्या है:
- संस्कृत में मंडला का शाब्दिक अर्थ “सर्कल” या “केंद्र” है,
- मंडला को एक ज्यामितीय विन्यास द्वारा परिभाषित किया जाता है जिसमें आमतौर पर किसी न किसी रूप में गोलाकार आकृति शामिल होती है।
- जबकि इसे एक वर्ग के आकार में भी बनाया जा सकता है, मंडल पैटर्न अनिवार्य रूप से परस्पर जुड़ा हुआ है।
मंडला की उत्पत्ति
- माना जाता है कि इसकी जड़ें बौद्ध धर्म में हैं, जो भारत में पहली शताब्दी ईसा पूर्व में प्रकट हुई थी।
• अगली दो शताब्दियों में, सिल्क रोड से यात्रा करने वाले बौद्ध भिक्षु इसे अन्य क्षेत्रों में ले गए।
• छठी शताब्दी तक, चीन, कोरिया, जापान, इंडोनेशिया और तिब्बत में मंडल चित्रकला अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुकी हैं।
• हिंदू धर्म में, मंडल चित्रकला पहली बार ऋग्वेद (1500 – 500 ईसा पूर्व) में दिखाई दी।
मंडला का महत्व:
- मंडल के भीतर विभिन्न तत्व शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अर्थ है।
- चक्र की आठ तीलियाँ (धर्मचक्र) बौद्ध धर्म के अष्टांगिक मार्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं
- कमल का फूल संतुलन दर्शाता है, और सूर्य ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करता है।
- ऊपर की ओर, त्रिकोण क्रिया और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करते हैं, और नीचे की ओर, वे रचनात्मकता और ज्ञान का प्रतिनिधित्व करते हैं।
आधुनिक भारतीय कला में मंडला
- मंडला पेंटिंग वृहद तौर पर बौद्ध थंगका चित्रकला में दिखाई देती है।
- तांत्रिक और नव-तांत्रिक आध्यात्मिक आंदोलनों से जुड़े मुख्यधारा के कलाकारों के अभ्यास में इसका केंद्रीय स्थान है।
- 1960 के दशक में सोहन कादरी और प्रफुल्ल मोहंती को व्यापक पहचान मिली
- बीरेन डे, जीआर संतोष, शोभा ब्रूटा, और प्रसिद्ध एस एच रज़ा इस चित्रकला के मशहूर चित्रकार हैं