ब्रिटेन ट्रांस-पैसिफिक व्यापार समझौते में क्यों शामिल हो रहा है?

ब्रिटेन ट्रांस-पैसिफिक व्यापार समझौते में क्यों शामिल हो रहा है?

चर्चा में क्यों

  • ब्रिटेन हाल ही में ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (सीपीटीपीपी) के लिए व्यापक और प्रगतिशील समझौते में शामिल होने के लिए सहमत हो गया
  • यह समझौता प्रशांत रिम के आसपास आधारित एक व्यापार समझौता है।
  • ब्रिटेन के लिए ये एक अहम् समझौता है।
  • क्योंकि यह यूरोपीय संघ छोड़ने के बाद दुनिया भर में संबंध बनाना चाहता है।

सीपीटीपीपी क्या है?

  • CPTPP एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है।
  • इस पर 2018 में 11 देशों – ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, कनाडा, चिली, जापान, मलेशिया, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, पेरू, सिंगापुर और वियतनाम के बीच सहमति हुई थी।
  • इसके साथ ही ब्रिटेन इसमें शामिल होने वाला 12वां सदस्य बन जाएगा।
  • हालांकि ब्रिटेन साझेदारी की स्थापना के बाद से इसमें शामिल होने वाला पहला देश होगा ।
  • ब्रिटेन के शामिल होने के बाद सीपीटीपीपी देशों की संयुक्त जीडीपी 11 ट्रिलियन पाउंड या 13.6 ट्रिलियन डॉलर होगी,
  • जो वैश्विक जीडीपी का 15 फीसदी के आस पास है।
  • ब्रिटेन के यूरोपीय संघ छोड़ने के बाद माल या सेवाओं के सभी बाजार छूट गए।
  • गौरतलब है कि ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ की सदस्यता 2020 के अंत में छोड़ दी थी।

ब्रिटेन CPTPP के साथ कितना व्यापार करता है?

  • सितंबर 2022 के अंत तक बारह महीनों में ब्रिटेन का सीपीटीपीपी देशों को निर्यात 60.5 बिलियन पाउंड का था। .
  • समूह की सदस्यता आने वाले समय में प्रत्येक वर्ष 1.8 बिलियन पाउंड और जोड़ेगी,
  • और यदि अन्य देश इसमें शामिल होते हैं तो संभवतः और भी अधिक।

भू राजनीतिक कारक

  • जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के लिए दीर्घकालिक लाभ मामूली होना तय है, ब्रिटेन के पास समूह में शामिल होने के अन्य कारण हैं।
  • ब्रिटेन का इस समूह में शामिल होने से उसे भू राजनैतिक और रणनीतिक लाभ होंगे हालांकि आर्थिक लाभों में मामूली बढ़ोत्तरी देखी जा सकती है।

बिना मादा के पैदा होंगे बच्चे : चूहों पर हुआ शोध

चर्चा में क्यों:

  • आमतौर पर बच्चे पैदा करने में नर और मादा दोनों का योगदान होता है
  • लेकिन अगर बच्चे बगैर मादा के पैदा हों तो काफी हैरत में डालने वाली बात होगी लेकिन अचरज में डालने वाली ये बात सच है।
  • दरसल में जापान के वैज्ञानिकों ने बिना मादा के नर चूहों की कोशिकाओं से अंडे पैदा करके इस कारनामे को अंजाम दिया है।
  • इस नई खोज ने पूरे प्रजनन जैव विज्ञान को ही बदल कर रख दिया है।
  • इस खोज से आने वाले वक़्त में दो नर मिलकर बच्चे पैदा कर सकेंगे
  • या ऐसे लोग जो नपुंसक हैं उन्हें भी बच्चा पैदा करने में किसी भी मुश्किल का सामना नहीं करना पडेगा।

क्या है जापानी वैज्ञानिकों का शोध

  • जापान के क्यूशू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता कात्शुहिको हायाशी ने बताया
  • कि उन्होंने  और उनकी टीम ने मिलकर पहली बार स्तनधारी ऊसाइट्स बनाया है वह भी नर कोशिकाओं से
  • कात्शुहिको हायाशी पूरी दुनिया में आर्टिफिशियल स्पर्म और अंडे बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं
  • उन्होंने यह रिपोर्ट लंदन में 7 मार्च को इंटरनेशनल समिट ऑन.ह्यूमन जिनोम एडिटिंग में पेश की

क्या थी पूरी प्रक्रिया

  • इस प्रयोग को अंजाम देने के लिए वैज्ञानिकों ने नर चूहे की पूँछ से त्वचा की कोशिकाएं ली।
  • इन कोशिकाओं में X और Y दोनों तरह के क्रोमोसोम मौजूद थे जैसा की इंसानों में होते हैं।
  • इसके बाद इन कोशिकाओं को इंड्यूस्ड प्लूरिपोटेंट स्टेम कोशिकाओं में बदला गया
  • ताकि इनसे किसी भी तरह की कोशिका का निर्माण किया जा सके।
  • इस पूरी प्रक्रिया के दौरान कुछ कोशिकाओं ने अपना Y क्रोमोजोम खो दिया
  • और ऐसी कोशिकाओं का निर्माण किया जिनमे सिर्फ X क्रोमोजोम मौजूद था।
  • इन कोशिकाओं को लैब में रिवेर्सिन नाम की दवा के साथ ट्रीट किया गया जिससे इसमें X क्रोमोजोम ने दो क्रोमोसोम का सेट बनाया।
  • हयाशी और उनके साथी वैज्ञानिकों ने इन XX कोशिकाओं को कृत्रिम अंडाशय में स्थापित कर दिया।
  • गौरतलब है की इस अंडाशय का भी निर्माण स्टेम कोशिकाओं से किया गया था
  • जिसे दुसरे नर चूहे के स्पर्म से निषेचित किया गया था ताकि उनसे सैकड़ों भ्रूण बनाये जा सके
  • और उन्हें सरोगेट मादा चूहे के गर्भाशय में स्थापित किया जा सके।
  • 630 प्रत्यारोपित भ्रूणों में से केवल सात ही जीवित चूहों के बच्चे पैदा हुए ।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार, चूहों के बच्चों का जीवनकाल सामान्य था और उन्होंने वयस्कों के रूप में अपने बच्चों को जन्म दिया।

क्या तकनीक का इस्तेमाल इंसानों में किया जा सकता है?

  • हयाशी ने कहा कि दो जैविक पिताओं के साथ चूहों को बनाने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा उपयोग की जाने वाली विधि की एक प्रतिशत सफलता दर को देखते हुए
  • हालांकि सैद्धांतिक रूप से पुरुष मानव जोड़ों से बच्चे पैदा करना संभव है
  • ऐसा करने में लगभग एक दशक का समय लगेगा।
  • तकनीकी पहलू के अलावा, इंसानों के मामले में जिस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, उससे कई तरह के नैतिक सवाल भी खड़े होते हैं।