किलर प्लांट फंगस : पौधे से फैला इंसान में जानलेवा संक्रमण

किलर प्लांट फंगस : पौधे से फैला इंसान में जानलेवा संक्रमण

Killer Plant Fungus

चर्चा में क्यों

  • कोलकाता के एक 61 वर्षीय व्यक्ति को हाल ही में एक घातक पौधे कवक चोंड्रोस्टेरियम परप्यूरियम से संक्रमण का पता चला है।
  • यह दुनिया का पहला ऐसा ज्ञात मामला बताया जा रहा है।
  • यह शख्स एक पेशेवर प्लांट माइक्रोलॉजिस्ट है।
  • माइक्रोलॉजिस्ट के तौर पर काम करते हुए वह सड़ने वाली सामग्री, मशरूम और अलग अलग पौधों के फंगल पर रिसर्च करते हुए समय बिताते रहे।

चोंड्रोस्टेरियम परप्यूरियम क्या है?

  • चोंड्रोस्टेरियम परप्यूरियम एक पौधा कवक है
  • जो पौधों में सिल्वर लीफ रोग का कारण बनता है, विशेष रूप से गुलाब परिवार में।
  • वितरण: यह आमतौर पर उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के समशीतोष्ण क्षेत्रों में पाया जाता है।
  • यह अक्सर पुराने स्टंप और मृत लकड़ी पर पाया जाता है,
  • लेकिन यह जीवित पेड़ों का गंभीर परजीवी भी हो सकता है।
  • यह गुलाब परिवार रोसेसी की अधिकांश प्रजातियों पर हमला करता है, विशेष रूप से जीनस प्रूनस।
  • रोग प्रगतिशील है और अक्सर घातक होता है।
  • यह ताजा उजागर सैपवुड पर उतरने वाले वायुजनित बीजाणुओं द्वारा फैलता है।

चोंड्रोस्टेरियम परप्यूरियम इंसानों को कैसे संक्रमित कर सकता है?

  • मनुष्यों में इस दुर्लभ प्रकार के संक्रमण के पीछे बार-बार सड़ने वाली सामग्री का संपर्क हो सकता है।
  • मनुष्यों में लक्षण: बार-बार खांसी आना, आवाज में भारीपन, निगलने में कठिनाई, गले में खराश और थकान।
  • रोगी को गर्दन में पैराट्रैचियल फोड़ा भी होता है।
  • इस तरह के फोड़े वायुमार्ग को अवरुद्ध कर सकते हैं और अगर इसका पता नहीं लगाया गया और प्राथमिकता पर इलाज न किया गया तो यह घातक हो सकता है।
  • मनुष्यों के बीच यह चोंड्रोस्टेरियम परप्यूरियम संक्रमण पर प्रकाश डाला गया है
  • क) मनुष्यों में रोग पैदा करने के लिए पौधों में पाया जाने वाला पर्यावरणीय कवक की क्षमता और
  • ख) प्रेरक कवक प्रजातियों की पहचान करने के लिए आणविक तकनीकों के महत्व पर जोर देता है।

गुरुत्वीय लेंसिंग से पहली बार बहुत बड़े ब्लैक होल की खोज

चर्चा में क्यों

  • खगोलविदों ने गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग का उपयोग करते हुए एक बहुत भारी कृष्ण विवर या ब्लैक होल की खोज की है।

ब्लैक होल की खोज के लिए शोधकर्ताओं द्वारा किस तकनीक का उपयोग किया जाता है?

  • शोधकर्ताओं ने गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग नामक एक तकनीक का इस्तेमाल किया।
  • इस तकनीक ने उन्हें बारीकी से यह जांचने में सक्षम बनाया कि पृथ्वी से करोड़ों प्रकाश-वर्ष दूर एक आकाशगंगा के अंदर एक ब्लैक होल द्वारा प्रकाश कैसे मोड़ा जाता है।
  • ब्लैक होल के आकार की पुष्टि करने के लिए हबल स्पेस टेलीस्कॉप द्वारा कैप्चर किए गए सुपरकंप्यूटर सिमुलेशन और छवियों का भी उपयोग किया गया था।

खोज का महत्व

  • खोजा गया ब्लैक होल हमारे सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 30 बिलियन गुना है
  • जो अभी तक खोजे गए ब्लैक होल्स में सबसे बड़ा ब्लैक होल है ।
  • गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग विधि इसलिए भी काफी अहम् है
  • इसके माध्यम से निष्क्रिय ब्लैक होल्स का भी पता आसानी से लगाया जा सकता है।
  • हालाँकि अभी तक अन्य तरीकों से ऐसा करना मुमकिन नहीं था ।

क्या है गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग

  • गुरुत्विय लेंस अंतरिक्ष में किसी बड़ी वस्तु के उस प्रभाव को कहते हैं जिसमें वह वस्तु अपने पास से गुज़रती हुई रोशनी की किरणों को मोड़कर एक लेंस जैसा काम करती है।
  • भौतिकी के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत की वजह से कोई भी वस्तु अपने इर्द-गिर्द के व्योम (“दिक्-काल” या स्पेस-टाइम) को मोड़ देती है और बड़ी वस्तुओं में यह मुड़ाव अधिक होता है।
  • जिस तरह चश्मे, दूरबीन के मुड़े हुए शीशे से गुज़रता हुआ प्रकाश भी मुड़ जाता है,
  • उसी तरह गुरुत्वाकर्षण लेंस से गुज़रता हुआ प्रकाश भी मुड़ जाता है।

एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान

चर्चा में क्यों 

  • एराविकुलम नेशनल पार्क (ईएनपी) के अंदर एक फर्नारियम स्थापित किया गया है।
  • यह पहली बार है जब हिल स्टेशन में इस तरह का फर्न संग्रह स्थापित किया गया है।

क्या है फर्नारियम

  • फर्न पार्क ऑर्किडारियम के पास स्थित है और इसे  20 अप्रैल से जनता के लिए खोला जायेगा ।
  • एराविकुलम नेशनल पार्क में कई तरह के जानवर और वनस्पतियां पायी जाती हैं।
  • फर्नारियम पार्क का शुभारम्भ जैव विविधता के बारे में हमारी जानकारी को बढ़ाने की ओर एक सराहनीय कदम है  ।
  • फर्न एपीफिटिक परिवार से आते हैं और बिना मिट्टी वाले वातावरण में प्राकृतिक रूप से उगते हैं।
  • ये पौधे पेड़ों से पानी और पोषक तत्वों को अवशोषित कर उन्हें अपने भोजन के रूप में लेते हैं ।
  • पार्क के अंदर पेड़ों पर बड़ी संख्या में फर्न उगते हैं।

एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान (ENP) क्या है?

  • यह पार्क केरल राज्य में स्थित है। यह केरल का पहला राष्ट्रीय उद्यान है।
  • इसे 1978 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
  • यह दक्षिणी पश्चिमी घाट की कन्नन देवन पहाड़ियों में स्थित है।
  • दक्षिण भारत की सबसे ऊँची चोटी- अनामुडी (2695 मीटर) इसी उद्यान में स्थित है।
  • बारह साल में एक बार खिलने वाले फूल “नीलकुरिंजी” भी इसी क्षेत्र में पाया जाता है।
  • यह पार्क नीलगिरी तहर का एक प्राकृतिक आवास है।
  • इसके अलावा भी यहां अलग अलग तरह के जानवर और पक्षी पाए जाते हैं जैसे मकाउ तेंदुआ इत्यादि।
  • पार्क अपने घने जंगल, घुमटती घास के मैदान और झरनों के जलप्रपातों के लिए भी जाना जाता है।