भारत का डार्क स्काई रिज़र्व (India’s Dark Sky Reserve )

भारत का डार्क स्काई रिज़र्व (India’s Dark Sky Reserve )

भारत का डार्क स्काई रिज़र्व (India's Dark Sky Reserve )

चर्चा में क्यों :

  • भारत का पहला डार्क स्काई रिज़र्व केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख निर्मित किया जायेगा
  • यह रिज़र्व आने वाले ३ महीनों में हनले क्षेत्र में निर्मित किया जायेगा ।
  • डार्क स्काई रिजर्व लद्दाख के उच्च ऊंचाई वाले चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य के हिस्से के रूप में बनाया जा रहा है।

डार्क स्काई रिजर्व (डीएसआर) क्या है?:

  • इंटरनेशनल डार्क स्काई एसोसिएशन (आईडीएसए) एक अंतरराष्ट्रीय डार्क स्काई रिजर्व (आईडीएसआर) को “पर्याप्त आकार की सार्वजनिक या निजी भूमि (कम से कम 700 किमी², या लगभग 173,000 एकड़) के रूप में परिभाषित करता है
  • जिसमें तारों वाली रातों और रात के वातावरण का, और जो विशेष रूप से अपनी वैज्ञानिक, प्राकृतिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक विरासत और/या सार्वजनिक आनंद के लिए संरक्षित है से सम्बद्ध असाधारण या विशिष्ट गुणवत्ता होती है। ।

डार्क स्काई रिजर्व का कोर एरिया क्या है?

  • एक डार्क स्काई रिजर्व के लिए एक “कोर” क्षेत्र की आवश्यकता होती है
  • इसमें बिना किसी प्रकाश प्रदूषण के स्पष्ट आकाश हो, जो दूरबीनों को अपने प्राकृतिक अंधेरे में आकाश को देखने में सक्षम बना सके।

भारत का डार्क स्काई रिज़र्व :

  • लद्दाख को डीएसआर के लिए आदर्श स्थान के रूप में क्यों चुना गया है?
  • लद्दाख में शुष्क क्षेत्र, उच्च ऊंचाई, और विरल आबादी है
  • यहाँ अत्यधिक ठंड और न्यूनतम तापमान शून्य से -40 डिग्री सेल्सियस नीचे रहता है
  • इसके कारण लंबी अवधि की वेधशालाओं और अंधेरे-आकाश स्थलों के लिए आदर्श स्थान है।
  • यहाँ चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य स्थित है। यह अभयारण्य समुद्र तल से लगभग 4,500 मीटर ऊपर स्थित है
  • इसके कारण यहां वेधशालाओं और दूरबीनों को स्थापित करने के लिए अनुकूल परिस्थितियां मौजूद हैं

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP)

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP)

चर्चा में क्यों?:

  • वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने बुधवार (5 अक्टूबर) को कहा कि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के ‘स्टेज -1’ के तहत उपायों को NCR में तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा।

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) क्या है?:

  • GRAP आपातकालीन उपायों की एक श्रृंखला है जो एक निश्चित सीमा तक पहुंचने के बाद वायु की गुणवत्ता में और गिरावट को रोकने के लिए शुरू की जाती है
  • GRAP का चरण 1 तब सक्रिय होता है जब एक्यूआई ‘खराब’ श्रेणी (201 से 300) में होता है, उदाहरण के लिए बुधवार को, दिल्ली में एक्यूआई 211 था।
  • दूसरा, तीसरा और चौथा चरण एक्यूआई के ‘बेहद खराब’ श्रेणी (301 से 400), ‘गंभीर’ श्रेणी (401 से 450) और ‘गंभीर +’ श्रेणी (450 से ऊपर) तक पहुंचने से तीन दिन पहले सक्रिय हो जाएगा।
  • इसके लिए सीएक्यूएम भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) और भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा वायु गुणवत्ता और मौसम संबंधी पूर्वानुमानों पर निर्भर है।
  • GRAP के संस्करण में जिसे 2017 में अधिसूचित किया गया था, प्रदूषण सांद्रता एक निश्चित स्तर तक पहुंचने के बाद उपायों को शुरू किया गया।
  • इस वर्ष, इन उपायों को पहले से ही कार्यान्वित किया जायेगा और ये एक्यूआई को और बिगड़ने से रोकने के प्रयास में पूर्वानुमानों के आधार पर लागू होंगे।
  • GRAP के पुराने संस्करण को केवल PM2.5 और PM10 की सांद्रता के आधार पर लागू किया गया था।
  • इस वर्ष, GRAP को एक्यूआई के आधार पर लागू किया जा रहा है, जो अन्य प्रदूषकों को भी ध्यान में रखता है, जैसे ओजोन, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड।

GRAP में इस साल लागू किये जाने वाले उपाय:

  • इस साल संशोधित GRAP में कुछ उपाय भी अलग हैं।
  • पहली बार, GRAP के तहत NCR में राज्य सरकारें BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल चार पहिया वाहनों पर स्टेज -3 या AQI के ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंचने की संभावना के तहत प्रतिबंध लगा सकती हैं
  • ‘गंभीर +’ श्रेणी में, GRAP BS-VI वाहनों और आपातकालीन या आवश्यक सेवाओं के लिए चलने वालों को छोड़कर, दिल्ली की सीमा से लगे दिल्ली और NCR जिलों में चार पहिया वाहनों के चलने पर प्रतिबंध लगाता है।
  • इस श्रेणी के तहत, दिल्ली में पंजीकृत, डीजल से चलने वाले मध्यम और भारी माल वाहनों की आवाजाही पर भी प्रतिबंध रहेगा,
  • इनमे आवश्यक वस्तुओं को ले जाने या आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वालों के लिए अपवाद होंगे।
  • संशोधित GRAP में पहले कुछ निर्माण गतिविधियों पर भी प्रतिबंध लगाया जाएगा।
  • निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध (रेलवे, राष्ट्रीय सुरक्षा की परियोजनाओं, अस्पतालों, मेट्रो सेवाओं और राजमार्ग, सड़कों जैसी रैखिक सार्वजनिक परियोजनाओं को छोड़कर) को ‘गंभीर’ श्रेणी के तहत लगाया जाएगा।
  • पिछली योजना में निर्माण प्रतिबंध सिर्फ ‘गंभीर+’ श्रेणी में लागू किया गया था।
  • राजमार्ग, सड़क, फ्लाईओवर, पाइपलाइन और बिजली पारेषण जैसी रैखिक सार्वजनिक परियोजनाओं पर निर्माण गतिविधियों को इस वर्ष ‘गंभीर +’ श्रेणी के तहत प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।

क्या हैं कार्बन डॉट्स (What are Carbon Dots)

क्या हैं कार्बन डॉट्स (What are Carbon Dots)

चर्चा में क्यों:

  • वैज्ञानिकों के अनुसार, नैनोमैटेरियल्स या कार्बन डॉट्स (सीडी) जैसी आधुनिक तकनीक जल प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय मुद्दों का समाधान हो सकती है।

कार्बन डॉट्स के बारे में:

  • कार्बन डॉट्स को कार्बन नैनोमटेरियल परिवार के सबसे नए सदस्यों के रूप में जाना जाता है
  • इन्हें 2004 में खोजा गया था और इनका औसत व्यास 10 नैनोमीटर से कम है।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार, कार्बन-आधारित नैनोमैटेरियल (Carbon-based nanomaterials) का उपयोग जैव-इमेजिंग के लिये नैदानिक ​​उपकरणों के रूप में किया जाता है
  •  इनका प्रयोग विशेष रूप से कैंसर कोशिकाओं का पता लगाने, रासायनिक संवेदन और ऑप्टो-इलेक्ट्रॉनिक्स (Opto-Electronics) में किया जाता है।

कार्बन डॉट्स (सीडी) कैसे बनते हैं?

  • “टॉप-डाउन” विधि: यह प्रक्रिया लेजर एब्लेशन, आर्क डिस्चार्ज, और रासायनिक या विद्युत रासायनिक ऑक्सीकरण द्वारा बड़ी कार्बन संरचनाओं को क्वांटम-आकार के कार्बन डॉट्स में परिवर्तित करती है।
  • “बॉटम-अप” विधि: पायरोलिसिस, कार्बोनाइजेशन, हाइड्रोथर्मल प्रक्रियाओं या माइक्रोवेव-असिस्टेड सिंथेसिस द्वारा छोटे अणुओं का कार्बोनीकरण कर कार्बन डॉट्स बनाये जाते हैं ।

कार्बन डॉट्स (सीडी) के लाभ? :

  • कार्बन डॉट्स ने शोधकर्ताओं का ध्यान मुख्य रूप से कार्बनिक और अकार्बनिक दोनों प्रकार की सामग्रियों से उनकी सुविधाजनक उपलब्धता के कारण आकर्षित किया है।
  • कार्बन डॉट्स में क्वांटम डॉट्स की जगह उपयोग किए जाने की क्षमता होती है, जो अधिक विषैले और कम जैव-संगत होते हैं।
  • कार्बन डॉट्स सस्ते , अत्यधिक जैव-संगत, और पर्यावरण के अनुकूल हैं।