ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक (BRICS Foreign Ministers Meet )

ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक (BRICS Foreign Ministers Meet )

ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक

चर्चा मे क्यों :

  • ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मणयम जयशंकर ने भाग लिया.
  • यह बैठक दक्षिण अफ्रीका की की अध्‍यक्षता में आयोजित की गयी.
  • दक्षिण अफ्रीका की अंतरराष्‍ट्रीय संबंध और सहयोग मंत्री डॉ. नलेडी पेन्‍डोर ने इसका नेतृत्व किया.
  • न्यूयार्क में आयोजित इस बैठक में रूस के विदेश मंत्री सरगेई लावरोफ, ब्राजील के विदेश मंत्री कारर्लोस अल्‍बर्टो फ्रैंको फ्रैंका और चीन के विदेश मंत्री वांग यी शामिल हुए.

किन मुद्दों पर हुई चर्चा?

  • सदस्य देशों ने जारी वैश्विक घटना क्रम सहित समूह की गतिविधियों और संयुक्‍त राष्‍ट्र के एजेंडा में शामिल मुद्दों पर चर्चा की.
  • वैश्विक मुद्दे: सदस्य देशों ने संयुक्‍त राष्‍ट्र एजेंडे में शामिल वित्‍तीय, राजनीतिक,सुरक्षा और आर्थिक मुद्दों पर अपने विचार साझा किये है. साथ ही सहयोग की भी प्रतिबद्धता दोहरायी है.
  • कोविड-19: सदस्यों ने COVID-19 निदान और चिकित्सा उत्पाद के उत्पादन और आपूर्ति को कवर करने के,TRIPS समझौते पर 12 वें विश्व व्यापार संगठन मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में हुए निर्णय को स्वीकार किया है.
  •   सदस्य देशों ने बहुपक्षीय प्रणाली, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र और उसके प्रमुख अंगों को मजबूत करने और सुधारने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी.
  • आतंकवाद: आतंकवाद और उग्रवाद का मुकाबला करने में दोहरे मानकों को ख़ारिज करते हुए सदस्य देशों ने एकजुट होकर काम करने पर जोर दिया है.
  • सभी सदस्यों ने देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध नजर आये.
  • यूक्रेन: यूक्रेन मुद्दे पर सदस्यों ने मतभेदों और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी और इसके शांतिपूर्ण समाधान के लिए अनुकूल सभी प्रयासों का समर्थन किया है.
  • सतत विकास: ब्रिक्स सदस्यों ने सतत विकास लक्ष्यों को संतुलित और एकीकृत तरीके से लागू और हासिल करने का आह्वान किया.

ब्रिक्स 2023 की मेजबानी:

  • वर्ष 2023 ब्रिक्‍स सम्‍मेलन की अध्‍यक्षता दक्षिण अफ्रीका करेगा.
  • साथ ही भारत के विदेश मंत्री ने दक्षिण अफ्रीका की अध्‍यक्षता को सफल बनाने में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया है.
  • रूस सहित अन्य सदस्यों ने भी इस पर सहमति जताई है.
  • इस वर्ष ब्रिक्स की मेजबानी चीन ने की थी, जिसका वर्चुअल आयोजन किया गया था.

ब्रिक्स (BRICS) के बारें में:

  • ब्रिक्स विश्व की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है. जिसके सदस्य देश है- ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका.
  • इनके संक्षेप नाम को ब्रिक्स नाम दिया गया है.
  • वर्ष 2001 में ब्रिटिश अर्थशास्त्री जिम ओ’नील ने इसकी अवधारणा पेश की थी.
  • इसका पहला शिखर सम्मेलन 16 जून 2009 को येकातेरिनबर्ग, रूस में आयोजित किया गया था. B-R-I-C-S क्रमानुसार सदस्य देश,प्रतिवर्ष ब्रिक्स शिखर सम्मलेन की अध्यक्षता करते है.

भारत का पहला ‘डुगोंग कंजर्वेशन रिजर्व (India’s first Dugong Conservation Reserve)

भारत का पहला 'डुगोंग कंजर्वेशन रिजर्व

चर्चा मे क्यों :

  • भारत का पहला ‘डुगोंग कंजर्वेशन रिजर्व’ (Dugong Conservation Reserve) तमिलनाडु में अधिसूचित किया गया है.
  • राज्य सरकार ने हाल ही में देश के पहले ‘डुगोंग कंजर्वेशन रिजर्व’ की घोषणा की है.
  • यह रिजर्व तमिलनाडु के तटीय क्षेत्र पाक खाड़ी (Palk Bay) में स्थापित किया गया है.

‘डुगोंग कंजर्वेशन रिजर्व’ के बारे में:

  • इसे तमिलनाडु के तंजावुर और पुदुकोट्टई जिलों के तटीय क्षेत्र  को शामिल करते हुए पाक खाड़ी मे स्थापित किया गया है
  • डुगोंग कंजर्वेशन रिजर्व 448 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है.
  • इसकी पहल सितम्बर 2021 में की गयी थी.

डुगोंग के बारे में:

  • डुगोंग सबसे बड़े शाकाहारी समुद्री स्तनधारी में से एक है.
  • डुगोंग को ‘सी काउ’ (Sea Cow) भी कहा जाता है.
  • ये समुद्री घास वाले समुद्री क्षेत्र में निवास करते है. यह सिरेनिया (Sirenia) प्रजाति का जीव है.
  • यह जीव वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में अधिसूचित है.
  • साथ ही  IUCN की रेड लिस्ट की संवेदनशील (Vulnerable) श्रेणी में शामिल है.
  •  डुगोंग को समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का अहम हिस्सा माना जाता है.
  • इसलिए इनका संरक्षण अति महत्वपूर्ण है. इनका  आवास क्षेत्र कई मछलियों और समुद्री जीवों का प्रजनन और भोजन क्षेत्र है.
  • ये जीव भारत में मन्नार की खाड़ी,पाक खाड़ी, अंडमान तथा निकोबार द्वीप क्षेत्र और गुजरात के तटीय क्षेत्र कच्छ की खाड़ी में पाए जाते है.
  • ये जीव समुद्री घास को खाते है, इसलिए समुद्री घास क्षेत्र का संरक्षण बेहद जरुरी है. 
  • ट्रॉलिंग (मछली पकड़ने का एक तरीका) के कारण समुद्री घासों और प्रवाल भित्तियां नष्ट होती है.

आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 (Criminal Procedure (Identification) Act, 2022)

आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022

चर्चा मे क्यों :

  • केंद्र सरकार ने आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 के तहत नियमों को अधिसूचित कर दिया है.
  • यह  पुलिस को, दोषियों और आरोपियों के शारीरिक और जैविक नमूने प्राप्त करने का अधिकार देता है.
  • इस अधिनियम के तहत एक पुलिस अधिकारी या केंद्र सरकार, राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन के जेल अधिकारी को दोषियों के शारीरिक और जैविक नमूने लेने का अधिकार होगा.

मुख्य बिन्दु :

  • यह अधिनियम कैदियों की पहचान अधिनियम, 1920 से प्रेरित है.
  • इसके तहत पुलिस अधिकारी गिरफ्तार किये गए, दोषी ठहराए गए या मुकदमे का सामना करने वाले लोगों का शारीरिक और जैविक रिकार्ड ले सकता है.
  • इसे  राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) और उसके नियंत्रण की इकाइयों के पास सुरक्षित रखा जायेगा.

आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) बिल, 2022

  • 28 मार्च, 2022 को आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) बिल, 2022 बिल लोकसभा में पेश किया गया था.
  • यह बिल संसद से पास होने के बाद एक अधिनियम का रूप ले लिया.
  • जिसके तहत केंद्र सरकार ने हाल ही में नियमों को अधिसूचित किया है.
  • भारत की दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1973 के सेक्शन 53 या 53A के तहत पुलिस को डेटा एकत्र करने का अधिकार होगा.
  • पुलिस दोषियों या अपराधियों के फिंगर-इंप्रेशन, फुटप्रिंट इंप्रेशन,आईरिस, फोटोग्राफ, हथेली का प्रिंट-इंप्रेशन,आंख का रेटिना स्कैन आदि क रिकार्ड लिया जा सकता है.
  • साथ ही उनके सिग्नेचर, हैंडराइटिंग, वॉयस सैंपल सहित व्यवहारिक गुण के कोई और नमूने लिए जा सकते है.
  • दंड प्रक्रिया संहिता सेक्शन 53A: सेक्शन 53A के तहत बाल का सैंपल, खून का सैंपल, सीमन, स्वैब और डीएनए प्रोफाइलिंग आदि का सैंपल लिया जा सकता है.
  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB): इन डेटा का रिकार्ड राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के पास डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में सुरक्षित रखा जायेगा.
  • आधुनिक तकनीक: इस नियम के तहत आधुनिक तकनीक का उपयोग करके अपराधियों का सही रिकार्ड कलेक्ट करने में आसानी होगी.
  • डेटा प्रबंधन: कलेक्ट किये गए डेटा को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के पास 75 वर्ष तक सुरक्षित रखा जायेगा. जिसका उपयोग आपराधिक मामलों की जाँच में किया जायेगा.
  • जाँच एजेन्सियों को मिलेगी मदद: इससे तहत आपराधिक मामलों की जाँच कर रही एजेंसियों को अपराध में शामिल लोगों की पहचान करने में मदद मिलेगी.
  • अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और प्रणाली (CCTNS): कलेक्ट किये गए डेटा का उपयोग, अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और प्रणाली के डेटाबेस में उपयोग किया जा सकता है.
  •  इसके तहत एक या एक से अधिक साल की कठोर कारावास काट दोषियों का या गिरफ्तार व्यक्ति का रिकार्ड रखा जा सकता है.
  •  सेक्शन 8: दंड प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 के सेक्शन 8 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार इसके द्वारा नियम, अर्थात् आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) नियम, 2022 को बनाया है.

आगे की राह:

  • कलेक्ट डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा पर सवाल उठाया जा सकता है.
  • साथ ही सरकार को इसके लिए एक बेहतर योजना प्रस्तुत करनी चाहिए.
  • यह अधिनियम कहीं न कहीं निजता के अधिकार को कमज़ोर करता है.
  • साथ ही सामान्य नागरिक के निजता और मौलिक अधिकारों को भी कमजोर करता है.
  • यह अधिनियम संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मानवाधिकार प्रावधानों का भी उल्लंघन करता है.