शैवाल जैव ईंधन (Algal Biofuels)

शैवाल जैव ईंधन (Algal Biofuels)

शैवाल जैव ईंधन (Algal Biofuels)

चर्चा मे क्यों :

  • भारत की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर एक लघु वीडियो जारी किया है
  • इसमे  अत्याधुनिक शैवाल-से-ईंधन बनाने की  तकनीक पर प्रकाश डाला गया है।

मुख्य बिन्दु :

  • शैवाल का उपयोग बड़ी मात्रा में तेल को संश्लेषित करने के लिए किया जा सकता है
  • इससे तेल निकालने की क्षमता प्रति एकड़ सरसों की तुलना में 20 गुना अधिक है
  • इसके अलावा शैवाल अन्य पौधों की तुलना मे तेजी से बढ़ता है
  • यह स्थलीय पौधों की तुलना में 10 गुना तेज बढ़ता है
  • शैवाल मे पौधों के मुकाबले कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) पर कब्जा करने की क्षमता भी अधिक पायी जाती  है।
  • गौर तलब है की कंपनी पिछले पांच वर्षों से जामनगर के पास अपनी सुविधा में बड़े शैवाल के  तालाबों को सफलतापूर्वक संचालित कर रही है
  • इसका मकसद  धूप, CO2 और समुद्री जल की उपस्थिति मे  शैवाल को जैव-तेल में बदलना है ।
  • इसके द्वारा कैटलिटिक हाइड्रोथर्मल लिकवीफैक्शन तकनीक के जरिए शैवाल को तेल मे बदलने का प्रदर्शन किया गया
  • इस प्रक्रिया मे उच्च ताप व दाब  पर बायो मास से तेल निकालने मे जल को विलायक के तौर पर प्रयोग किया जाता है

 

लाभ :

  • इस प्रक्रिया मे तेल निष्कर्षण की अन्य प्रक्रियाओं की तुलना मे कम समय लगता है
  • इसमे बायो मास को सुखाने या उसे अन्य प्रारूपों मे बदलने की जरूरत नहीं पड़ती है
  • इसके अतिरिक्त इस मे किसी तरह का अपव्यय भी नहीं होता है अतः इसकी दक्षता भी अधिक होती है

क्या है मूनलाइटिंग (What is Moonlighting)

क्या है मूनलाइटिंग (What is Moonlighting)

चर्चा मे क्यों :

  • सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी विप्रो लिमिटेड (Wipro Limited) ने हाल ही में अपने 300 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है
  • इन कर्मचारियों पर एक साथ दो जगह काम करने का आरोप था
  • एक साथ दो संस्थाओं मे काम करने को ‘मूनलाइटिंग’ के नाम से जाना जाता है ।

मूनलाइटिंग क्या है?

  • मूनलाइटिंग का इस्तेमाल किसी व्यक्ति द्वारा अपनी पूर्णकालिक नौकरी के अलावा दूसरी नौकरी या कई अन्य काम करने के लिए किया जाता है।
  • एक प्राथमिक कार्यस्थल के लिए प्रतिबद्ध रहते हुए कई संगठनों के लिए काम करने की प्रथा नियोक्ता की जानकारी के बिना हो रही है।
  • आईटी उद्योग में मूनलाइटिंग काफी लोकप्रिय हो गई है क्योंकि COVID-19 महामारी के दौरान घर से काम करना एक आदर्श व्यवस्था बन गई है।
  • कंपनियों ने इसका विरोध किया है क्योंकि इससे कर्मचारियों की उत्पादकता प्रभावित हो सकती है।
  • इंफोसिस जैसी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को इस प्रथा के खिलाफ चेतावनी दी है।
  • ऐसा माना जाता है कि अगर कर्मचारी कई प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के साथ काम कर रहा है तो मूनलाइटिंग हितों के टकराव का कारण बन सकती है।
  • यह गैर-प्रकटीकरण, डेटा के उल्लंघन या गोपनीयता से संबंधित नैतिक मुद्दे भी पैदा कर सकता है।
  • इस बात की भी चिंता है कि कर्मचारी सीधे ग्राहकों के साथ काम करेंगे और संगठनों के मुनाफे को काफी कम कर देंगे।
  • मूनलाइटिंग कोई नई अवधारणा नहीं है,
  • इसका उपयोग कर्मचारी या तो अतिरिक्त पैसे कमाने या अपने जुनून को पूरा करने, अपने कौशल में सुधार करने, अपने नेटवर्क का विस्तार करने और अधिक रोमांचक कैरियर के अवसरों को खोजने के लिए करते हैं।
  • कारखाना अधिनियम, 1948 के तहत दोहरे रोजगार पर प्रतिबंध है।
  • हालांकि, भारत भर के कई राज्यों में आईटी कंपनियों को इस नियम से छूट दी गई है।
  • भारतीय श्रम कानूनों में मूनलाइटिंग के संबंध में कोई विशेष क़ानून नहीं है।
  • टैक्स के नजरिए से अमेरिका और यूके में दोहरे रोजगार या अधिक रोजगार की तकनीकी रूप से अनुमति है।
  • अमेरिकी कर व्यवस्था स्व-मूल्यांकन और स्वैच्छिक रिपोर्टिंग के विचार के आधार पर कार्य करती है।

आगे की राह :

  • हालांकि इस संबंध मे केंद्र सरकार ने कर्मचारियों का बचाव किया है
  • इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी और कौशल विकास राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने मूनलाइटिंग को आज के  संदर्भ मे एक जरूरत बताया है
  • प्रौद्योगिकी पेशेवरों के बीच ‘मूनलाइटिंग’ के बढ़ते चलन ने उद्योग में एक नई बहस को जन्म दिया है.
  • मूनलाइटिंग के मुद्दे पर पेशेवर कर्मचारियों के नजरिये की सराहना की
  • हालांकि मंत्री ने यह जरूर कहा कि मूनलाइटिंग की वजह से कंपनी के साथ किए गए अनुबंध दायित्वों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए.

किगाली संशोधन (Kigali Amendment)

चर्चा मे क्यों :

  • अमेरिकी सांसदों ने हाल ही में किगाली संशोधन की पुष्टि करने के लिए मतदान किया
  • अमेरिका के लिए अंतर्राष्ट्रीय जलवायु संधि को अपनाने के लिए 30 वर्षों में यह पहली किया।

मुख्य बिंदु :

  • अमेरिकी सीनेट ने 1987 मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल जलवायु संधि में 2016 किगाली संशोधन की पुष्टि की
  • इसमे  हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) के उपयोग और उत्पादन को कम करने का निर्णय लिया।
  • HFCs कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में गर्मी को पकड़ने में हजार गुना अधिक सक्षम हैं।
  • उनके उत्सर्जन इस प्रकार ग्लोबल वार्मिंग को और बढ़ा रहे हैं।
  • इन रसायनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने से वैश्विक तापमान को 0.5°C तक बढ़ने से रोका जा सकता है।
  • देश में तापमान में रिकॉर्ड वृद्धि के बीच एयर कंडीशनिंग और रेफ्रिजरेशन की मांग बढ़ी है
  • इसके कारण अमेरिका ने 2018 और 2019 के बीच HFCs से उत्सर्जन में वृद्धि देखी थी।
  • वर्तमान में, एक दर्जन से अधिक राज्यों ने HFCs पर प्रतिबंध लगा दिया है।
  • अमेरिका अब इस संशोधन की पुष्टि करने में 136 अन्य देशों और यूरोपीय संघ के साथ शामिल हो गया है।

किगाली संशोधन (Kigali Amendment):

  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन एक कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय समझौता है
  • इसका  उद्देश्य HFCs की खपत और उत्पादन को धीरे-धीरे समाप्त करना है।
  • इस संशोधन के तहत, अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे विकसित देशों को 2036 तक HFCs के उत्पादन और खपत को 2012 के स्तर के लगभग 15 प्रतिशत तक कम करना चाहिए।
  • भारत, पाकिस्तान, बहरीन, ईरान, सऊदी अरब और कुवैत जैसे दुनिया के सबसे गर्म देशों के एक छोटे समूह को 2028 तक HFCs का उपयोग बंद करना चाहिए।