
- हाल ही में, क्लाइमेट चेंज से जुड़ा जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक-2021 जारी किया गया.
- इस सूचकांक में भारत 10वीं पायदान पर रहा।
- साल 2019 के इसी सूचकांक में भारत ने 9वाँ स्थान हासिल किया था।
- यह लगातार दूसरी बार है जब भारत इस सूचकांक में शीर्ष दस देशों की सूची में शुमार है।
- सूचकांक में पहले तीन स्थानों पर किसी भी देश को नहीं रखा गया है, क्योंकि कोई भी देश शीर्ष तीन स्थानों से जुड़े मापदंडों को पूरा नहीं कर पाया है।
- इस बार G- 20 समूह के मात्र दो ही देश – भारत और ब्रिटेन – इस सूचकांक में शीर्ष स्थान प्राप्त करने में सफल रहे।
- G- 20 समूह के छह अन्य देशों को इस सूचकांक में सबसे निचला रैंकिंग हासिल हुआ है। इनमें अमेरिका, कनाडा, दक्षिण कोरिया, रूस, ऑस्ट्रेलिया और सऊदी अरब शामिल हैं।
- यह दूसरी बार है जब अमेरिका इस सूचकांक में सबसे निचले पायदान पर खड़ा है। चीन को इस सूचकांक में 33वाँ स्थान हासिल हुआ है। ग़ौरतलब है कि मौजूदा वक्त में चीन ग्रीनहाउस गैसों का सबसे बड़ा उत्सर्जक देश है।
- CCPI 57 देशों और यूरोपीय संघ के जलवायु संरक्षण संबंधी उपायों के प्रदर्शन पर नज़र रखने के लिये एक स्वतंत्र निगरानी उपकरण की तरह काम करता है।
- इसे जर्मनवॉच, न्यूक्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क द्वारा साल 2005 से सालाना आधार पर जारी किया जाता है।
- इस सूचकांक का मकसद अंतर्राष्ट्रीय जलवायु राजनीति में पारदर्शिता को बढ़ावा देना और अलग-अलग देशों द्वारा जलवायु संरक्षण की दिशा में किये गए प्रयासों और प्रगति की तुलना करना है।
- इस सूचकांक में शामिल सभी देश संयुक्त तौर पर 90 फ़ीसदी से ज़्यादा ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन करते हैं।
- यह सूचकांक चार श्रेणियों के तहत 14 संकेतकों के आधार पर देशों के समग्र प्रदर्शन को दर्शाता है। इसमें अलग-अलग श्रेणियों का अलग-अलग वेटेज है मसलन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 40 फ़ीसदी, नवीकरणीय ऊर्जा को 20 फ़ीसदी, ऊर्जा उपयोग को 20 फ़ीसदी और जलवायु नीति को 20 फ़ीसदी वेटेज दिया गया है।
- समग्र प्रदर्शन के मामले में भारत को इस सूचकांक में 10वाँ स्थान हासिल हुआ है, जबकि इसका स्कोर 100 में से 63.98 अंक है।
- नवीकरणीय ऊर्जा श्रेणी के तहत 57 देशों में से भारत को 27वें स्थान पर रखा गया है। बता दें कि सितंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने साल 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा और साल 2030 तक 450 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्ति का लक्ष्य तय किया था।
- इसके अलावा, भारत ने अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अंशदान यानी INDC में साल 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली की हिस्सेदारी को 40 फ़ीसदी तक बढ़ाने की बात कही है।
- तुलनात्मक नजरिए से देखें तो भारत में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन निम्न स्तर पर है।
- इस श्रेणी में भारत को 12वाँ स्थान प्राप्त हुआ है। इसका श्रेय भारत द्वारा इस दिशा में किए गए तमाम प्रयासों को जाता है जैसे कि भारत में ऑटोमोबाइल से होने वाले उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिये BS-VI उत्सर्जन मानदंड को लागू किया गया है।
- जलवायु नीति के श्रेणी में भारत को 13वाँ स्थान प्राप्त हुआ है। इस दिशा में भारत ने साल 2008 में जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना यानी NAPCC की शुरुआत की थी।
- इस कार्ययोजना का मक़सद जन-प्रतिनिधियों, सरकार की तमाम एजेंसियों, वैज्ञानिकों, उद्योग और समुदायों को जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरों तथा इनसे मुकाबला करने के उपायों के बारे में जागरूक करना है।
- ऊर्जा उपयोग की श्रेणी में भारत का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है और भारत को इसमें 10वाँ स्थान हासिल हुआ है।
- भारत ने ऊर्जा दक्षता के लिए ‘संवर्द्धित ऊर्जा दक्षता हेतु राष्ट्रीय मिशन’ यानी NMEEE के रूप में एक व्यापक नीति तैयार की है. इसके अलावा, इसने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करते हुए उपभोक्ताओं और नगर निगमों के लिये मांग आधारित प्रबंधन कार्यक्रमों को भी सफलतापूर्वक पूरा किया है।
- रिपोर्ट में सुझाव व्यक्त किया गया है कि भारत की जलवायु परिवर्तन से जुड़ी रणनीति में कोविड-19 महामारी के बाद की रिकवरी योजनाओं को भी शामिल किया जाना चाहिये।
- इनमें जीवाश्म ईंधन सब्सिडी में कटौती, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर आपसी तालमेल और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में घरेलू विनिर्माण के जरिए आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना शामिल है।