चक्रवात गुलाब (Cyclone Gulab) – चर्चा में क्यों ?

चर्चा में क्यों?
- चक्रवाती तूफान गुलाब(Cyclone Gulab) तेज गति से ओडिशा (Odisha) और आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के तट की ओर बढ़ रहा है और शाम 6 बजे लैंडफॉल भी शुरू हो गया।
- इसके लिए मौसम विभाग ने अलर्ट (IMD Alert) भी जारी किया है।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात(Tropical Cyclone)
- भारत में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से ही ज़्यादातर तूफ़ान पैदा होते है। इन तूफानों को उष्णकटिबंधीय चक्रवात(Tropical Cyclone) कहा जाता है।
- भारतीय उपमहाद्वीप के आस-पास उठने वाले तूफान घड़ी की सुईयों की दिशा में आगे बढ़ते हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात(Tropical Cyclone) एक ऐसा तूफान है जिसके बीच में काफी कम दबाव का क्षेत्र होता है ।
- चक्रवात के आने के साथ बिजली कड़कने के साथ तेज़ हवाएं चलती हैं और भारी बारिश होती है । उष्णकटिबंधीय चक्रवात(Tropical Cyclone) तब पैदा होता है जब नम हवा ऊपर उठती है ।
- नाम हवा के ऊपर उठने से गर्मी पैदा होती है।इस गर्मी की वजह से हवा की नमी का संघनन होता है और बादल बनते हैं जिससे बारिश होती है ।
- उष्ण कटिबंधीय चक्रवात या ट्रॉपिकल साइक्लोन आम तौर पर 30° उत्तरी एवं 30° दक्षिणी अक्षांशों के बीच पैदा होते हैं ।
- इसकी वजह इन अक्षांशों में इन चक्रवातों के पैदा होने के लिए सही स्थितियां पाया जाना है ।
- भूमध्य रेखा या इक्वेटर पर कम दबाव होने के बावजूद कोरिओलिस बल न के बराबर होता है ।
- इसकी वजह से हवाएं वृत्ताकार रूप में नहीं चलतीं,और चक्रवात नहीं बन पाते । दोनों गोलार्द्धों में 30° अक्षांश के बाद ये हवाएं पछुआ पवनों के प्रभाव में आकर स्थल पर पहुँचकर ख़त्म हो जाती हैं।
- आम तौर पर उष्ण कटिबंधीय चक्रवात बनने के लिए समुद्री सतह का तापमान 27°C से ज़्यादा होना चाहिए , कोरिओलिस बल का असर होना चाहिए , ऊपर चलने वाली हवा न के बराबर हो आदि।
चक्रवातों का नामकरण
- हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देश जिनमे बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्याँमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाइलैंड शामिल हैं एक साथ मिलकर आने वाले चक्रवातों के नाम तय करते हैं।
- जैसे ही चक्रवात इन आठों देशों के किसी भी हिस्से में पहुँचता है, सूची से अगला या दूसरा सुलभ नाम इस चक्रवात का रख दिया जाता है।
- इस प्रक्रिया के चलते तूफ़ान को आसानी से पहचाना जा सकता है और बचाव अभियानों में भी मदद मिलती है। आम तौर पर किसी भी नाम को दोहराया नहीं जाता है।
- हर देश उन दस नामों की एक सूची तैयार करता है जो उन्हें चक्रवात के नाम के लिये ठीक लगते हैं।
- शासी निकाय या RSMC हर देश द्वारा सुझाए गए नामों में आठ नामों को चुनता है और उसके अनुसार आठ सूचियाँ तैयार करता है जिनमें शासी निकाय द्वारा अनुमोदित नाम शामिल होते हैं।
- साल 2004 से चक्रवातों को RSMC द्वारा अनुमोदित सूची के अनुसार नामित किया जाता है।
चक्रवातों का नाम रखने का सिलसिला कब शुरू हुआ
- 1900 के मध्य में समुद्री चक्रवाती तूफान का नाम रखने की शुरुआत हुई ।
- नाम रखने का मकसद तूफ़ान से होने वाले खतरे के बारे में लोगों को समय रहते आगाह करना , और सरकार और लोगों द्वारा तूफ़ान आने पर बेहतर प्रबंधन और तैयारियाँ का मौका देना था ।
- लेकिन इस दौर में नामकरण की प्रक्रिया व्यवस्थित नही थी। जानकारों के मुताबिक़ नामकरण की विधिवत प्रक्रिया बन जाने के बाद से यह ध्यान रखा जाता है कि चक्रवाती तूफानों का नाम आसान और याद रखने लायक होना चाहिये ।
- 1950 के मध्य में नामकरण के क्रम को और भी क्रमवार ढंग से रखने के मकसद से अंग्रेज़ी वर्णमाला के शब्दों के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया।
- 1953 से मायामी नेशनल हरीकेन सेंटर और वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गनाइज़ेशन (WMO) तूफानों और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम रखता आ रहा है।
- WMO जेनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ की एक संस्था है। पहले उत्तरी हिंद महासागर में उठने वाले चक्रवातों का कोई नाम नहीं रखा जाता था क्योंकि ऐसा करना विवादास्पद काम था।
- इसकी वजह यह थी की इस क्षेत्र में अलग धर्म और जातियों के लोग थे इसलिए किसी एक के मुताबिक़ नाम रखना दिक्कत पैदा कर सकता था ।