तरबूज के इतिहास से उठा पर्दा (History revealed of Watermelon)


तरबूज के इतिहास से उठा पर्दा (History revealed of Watermelon)

watermelon pic

चर्चा में क्यों?

  • 10 ,000 साल पहले पौधों और जानवरों को घरेलू बनाना मानव इतिहास की प्रमुख उपलब्धियों में से एक माना जाता है।
  • गेहूँ, जौ, चावल और बाजरा जैसी फैसले सबसे पहले घरेलू तौर पर उगाई गयीं ,जबकि फलों को उनके लम्बी परिपक्वता अवधि की वजह से काफी बाद में उगाया गया ।
  • सेब, खजूर और अनार जैसे कुछ फलों को 4000-5000 साल पहले घरेलू स्तर पर उगाया गया था।
  • हाल ही में एक अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन में तरबूज(Watermelon) की जंगली किस्मो के जीनोम का अध्ययन कर इसके उगाये जाने और इसे इंसानों द्वारा अपनाये जाने सम्बन्धी इतिहास का खुलासा हुआ।
  • इस अध्ययन से यह निष्कर्ष निकाला गया कि सूडान में पाया जाने वाला कोर्डोफन तरबूज, सिट्रुलस लैनाटस कॉर्डोफैनस, आधुनिक तरबूज, सिट्रुलस लैनाटस वल्गरिस का निकटतम करीबी और सबसे संभावित जंगली प्रजननकर्ता है।

मुख्य बिंदु

  • ऐसा माना जाता है कि तकरीबन 14.8-5.5 हजार साल पहले होलोसीन अफ्रीकी आर्द्र अवधि के दौरान कोर्डोफन तरबूज(Watermelon) एक बार सहारा तक फैल गया था, जब अफ्रीका आज की तुलना में कम रेगिस्तानी था और यहां आर्द्रता कमोवेश अधिक थी
  • हालांकि, कॉर्डोफन तरबूज(Watermelon) या पूर्वज के वंशज की आधुनिक आबादी आज केवल पूर्वी साहेल क्षेत्र में मौजूद है।
  • दारफुर, सूडान में स्थानीय किसान अभी भी कॉर्डोफ़ान तरबूज(Watermelon) उगाते हैं क्योंकि उन्हें एक ऐसी किस्म की आवश्यकता होती है जो इस क्षेत्र में बहुत कम बारिश के मौसम के लिए विशिष्ट रूप से अनुकूल हो।
  • दिलचस्प बात यह है कि अन्य अध्ययनों ने प्राचीन मिस्र की प्रतिमा में कोर्डोफन तरबूज की पहचान की है।
  • मीर (2350-2200 ईसा पूर्व) और सक्कारा (2360-2350 ईसा पूर्व) में कब्रों पर सूडानी तरबूज के दो चित्रणों की पहचान की गई है।

जीनोमिक दृष्टिकोण

  • विभिन्न जंगली और खेती की किस्मों के जीनोम अनुक्रमों की तुलना करके, अध्ययन में कॉर्डोफन तरबूज, एगुसी तरबूज और अन्य घरेलू किस्मों के बीच एक महत्वपूर्ण सम्बन्ध पाया गया।
  • यह जंगली आबादी की सीमा तक खेती केंद्रों की निकटता के कारण था।
  • कुल मिलाकर, ‘ये परिणाम इस बात का समर्थन करते हैं कि सूडानी कोर्डोफन तरबूज आधुनिक तरबूज का प्रत्यक्ष प्रजननकर्ता हो सकता है।’
  • हालाँकि, जीनोमिक दृष्टिकोण की अपनी सीमाएँ हैं, जैसा कि विद्वानों का मानना हैं।

तरबूज के लाल रंग और मीठेपन का क्या कारण है

  • आधुनिक समय के तरबूजों में lcyb नामक जीन में एक संशोधन होता है, जिसके परिणामस्वरूप रासायनिक लाइकोपीन का संचय होता है, जो तरबूज के लाल मांस के रंग का कारण बनता है ।
  • सूडान में पाए जाने वाले कॉर्डोफन सहित अधिकांश तरबूजों में इस उत्परिवर्तन की कमी होती है और इसलिए इन तरबूजों के गूदे का रंग सफेद से लेकर हरे रंग का होता है।
  • इसके अलावा, विशिष्ट आधुनिक कल्टीवेटर के साथ कॉर्डोफैन तरबूज जीनोम का जुड़ाव फलों की मिठास के लिए जिम्मेदार जीन के भिन्न रूप की आवृत्तियों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है।
  • इससे ये पता चलता है की बीते सालों में तरबूज की घरेलू खेती से इसकी मिठास में लगातार वृद्धि हुई है।
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