मानव में नयी लार ग्रंथियों की खोज


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  • हाल ही में नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने प्रोस्टेट कैंसर पर शोध करते वक़्त मानव शरीर के गले में नई लार ग्रंथियों की खोज की है।
  • यहाँ ये जानना दिलचस्प होगा की पिछले करीब 300 सालों में पहली बार मानव शरीर में किसी नई ग्रंथि के बारे में जानकारी मिली है।
  • इन नयी लार ग्रंथियों के खोज से वैज्ञानिकों को यकीन है की इससे कैंसर का इलाज आसान हो जाएगा।
  • लार ग्रंथियों के इस नए जोड़े की औसत लंबाई तकरीबन 1.5 इंच है। ये ग्रंथियां नासॉफिरिन्जियल क्षेत्र यानी कि नाक के पीछे और गले के ऊपर के हिस्से में पायी गयी हैं।
  • एम्स्टर्डम के नीदरलैंड कैंसर संस्थान के शोधकर्ताओं द्वारा ये दावा किया गया है की कैंसर के इलाज़ में इस लार ग्रंथि के खोजे जाने से होने वाली तकलीफ में काफी कमी आएगी।
  • मना जाता है की रेडियोथेरेपी के दौरान सिर और गर्दन में कैंसर के रोगियों को आम तौर पर कठिनाई महसूस होती है।
  • मानव के शरीर में लार ग्रंथियों के 3 जोड़े पाए जाते हैं। इन बड़ी लार ग्रंथियों के 3 जोड़े के अलावा तकरीबन 1000 से ज़्यादा छोटी छोटी ग्रंथियां पायी जाती हैं जो मुकोसा के आस पास फ़ैली रहती हैं।
  • ये सारी ग्रंथियां भोजन निगलने ,पाचन ,स्वाद ,चबाने और दांत की सफाई के लिए ज़रूरी लार का स्रावण करती हैं।
  • जब शोध कर्ता 100 लोगों से मिले नमूनों पर शोध कर रहे थे तो उन्हें नासोफैरिंक्स के पीछे की तरफ द्विपक्षीय बनावट देखने को मिली जिसमे काफी कुछ गुण लार ग्रंथियों के सामान थे।
  • शोधकर्ताओं ने अपनी खोजी गयी इन ग्रंथियों को टुबैरिअल ग्लैंड नाम दिया।
  • हालांकि अभी तक इस बात पर सहमति नहीं बनी है की इन ग्रंथियों को छोटी ग्रंथियों के समूह के तौर पर वर्गीकृत किया जाएगा ,या बड़ी ग्रंथि के तौर पर ,एक नए अंग के तौर पर या नए अंगों के एक हिस्से के तौर पर।
  • शोधकर्ताओं का मानना है की ये ग्रंथियां लार ग्रंथियों के चौथे जोड़े के तौर पर जानी जाएंगी। इनका ये नाम इनकी शारीरिक संरचना के हिस्से में पाए जाने की वजह से रखा गया है।
  • गौर तलब ही की बाकी 3 ग्रंथियों को पैरोटिड ,सुब्मंडीबुलार और सुबलिन्गुअल के नाम से जाना जाता है
  • शोधकर्ताओं ने इस बात पर जानकारी दिए की ये ग्रंथियां शरीर में ऐसी जगह मौजूद हैं जहां का पता लगा पाना काफी मुश्किल है।
  • ये ग्रंथियां खोपड़ी के सबसे निचले हिस्से में मौजूद हैं जिनका पता केवल नाक की एंडोस्कोपी के द्वारा लगाया जा सकता है।
  • इसके अलावा सी टी स्कैन एम आर आई और अल्ट्रा साउंड के ज़रिये भी इन ग्रंथियों का पता लगाना बेहद मुश्किल है।
  • 100 रोगियों पर एक नए तरह का स्कैन किया गया जिसे पी एस एम ऐ पी ई टी सी टी स्कैन के नाम से जाना जाता है।
  • इस स्कैन की खासियत है की ये बेहद संवेदनशील और ऐसी ग्रंथियों का पता लगाने में सक्षम है।
  • शोधार्थियों का मानना है की इन ग्रंथियों का काम शरीर में नासोफैरिंक्स और ओरोफैरिंक्स को नम बनाना और उसे लार के ज़रिये लुब्रिकेट करना है ताकि भोजन आसानी से निगला जा सके।
  • हालांकि इसके बारे में अभी भी पूरी तरह से कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली है।
  • शोधकर्ताओं का मानना है की उनकी इस खोज से उन कैंसर मरीजों को राहत मिलेगी जिन्हे सर या गले का कैंसर है।
  • ऐसे मरीज जिन्हे गले या सर में कैंसर और जबान या गले में ट्यूमर की शिकायत है उनका इलाज़ आम तौर पर रेडिएशन थेरेपी से किया जाता है जिसकी वजह से उन लार ग्रंथियों को नुक्सान पहुँचाने का खतरा रहता था जिनके बारे में पहले कोई जानकारी नहीं मौजूद थी।
  • इस नयी खोज से रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट इन नयी ग्रंथियों की स्थिति के बारे में पहले से जानकारी रखेंगे जिससे शरीर के इन भागों को विकिरणों के असर से सुरक्षित रखा जा सकेगा और मरीज़ों को इलाज़ के बाद निगलने या बोलने में कोई मुश्किल नहीं होगी।
  • कैंसर के इलाज़ के लिए रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल करने के बाद कई रोगियों को मुंह में संक्रमण की भी शिकायत रहती थी जो इनके लिए कभी कभी जानलेवा भी साबित हो जाती थी।
  • कई बड़ी लार ग्रंथियों को जिनकी डॉक्टरों को पहले से जानकारी है उन्हें अब कैसे विकिरणों से सुरक्षित रखा जाये ये अब सबसे अहम् सवाल होगा।
  • इसके लिए वैज्ञानिकों को कोई कारगर तकनीक खोजनी होगी ताकि मरीज रेडिएशन थेरेपी के बाद एक बेहतर ज़िंदगी गुज़ार सकें।
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