
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 10 सितम्बर को डिजिटल माध्यम से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana-PMMSY) की शुरुआत की। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने ई-गोपाला एप को भी लॉन्च किया। इस ऐप का मकसद किसानों को मवेशियों के बारे में सभी जानकारियां मुहैया कराना है जिसमे समग्र नस्ल सुधार, बाज़ार और सूचना पोर्टल शामिल है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने बिहार में मछली पालन और पशुपालन से जुडी कई और पहले भी शुरू की
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना
PMMSY मत्स्य क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए बनायी गयी एक सतत् विकास योजना है। इस योजना को ५ साल के दौरान आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में लागू किया जाना है।
PMMSY पर तकरीबन : 20,050 करोड़ रुपए सरकार द्वारा खर्च किये जायेंगे। यह अभी तक का मछली पालन के क्षेत्र में किया गया सबसे बड़ा निवेश है। इस निवेश में से लगभग 12340 करोड़ रुपये समुद्री और इनलैंड फिशरीज पर जबकि अमूमन 7710 करोड़ रुपये मत्स्य पालन के लिए अवसंरचना निर्माण पर खर्च किये जायेंगे।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लक्ष्य अगले 5 सालों के दौरान मछली उत्पादन में 70 लाख टन की बढ़ोत्तरी करना है। इसके अलावा इस दौरान मत्स्य निर्यात से होने वाली आमदनी में भी तकरीबन 100000 करोड़ रुपये का भी इज़ाफ़ा करना है। इसके अलावा इसका मकसद मत्स्य पालन से जुड़े किसानों की आमदनी को दोगुना करने के साथ साथ इस क्षेत्र में तकरीबन 55 लाख नए रोज़गार भी मुहैया कराना है।
उदेश्य
इस योजना के बुनियादी लक्ष्यों में ऐसे समूहों और क्षेत्रों का निर्माण शामिल है जिसमे मछली पालन और उससे जुड़े व्यवसायों को बढ़ावा दिया जायेगा। इसके अलावा मछलियों की ऐसे नस्लों को बढ़ावा दिया जाएगा जो निर्यात की दृष्टि और किसानों की आमदनी बढ़ाने के हिसाब से फायदेमंद हैं। इसके अलावा मछली पालन से जुड़े अवसंरचना निर्माण और बाज़ार में इनकी बिक्री बढ़ाने की प्रक्रिया पर विशेष ध्यान दिया जायेगा।
इस योजना में मछुआरों के जहाज़ों का बीमा, मछली पकड़ने वाले जहाज़ों/नावों को और आधुनिक बनाने के लिए मदद , बायो-टॉयलेट्स का निर्माण , खारे पानी में खेती करने की सुविधाओं का विकास इन्क्यूबेटर्स, एक्वाटिक प्रयोगशालाओं के नेटवर्क और उनकी सुविधाओं का विस्तार, करना शामिल है।
एक्वाटिक डिज़ीज़ रेफरल प्रयोगशाला
इसका मकसद मछलीपालन से जुड़े किसानों के लिये समय पर अच्छी और सस्ते मत्स्य बीज उपलब्ध कराना है। इस तरह मत्स्य उत्पादन और उसकी उत्पादकता बढ़ाने में मदद हासिल होगी और मछलियों में होने वाले रोगों का भी तय समय पर निदान किया जा सकेगा।