कौन थे राणा बेनी माधव सिंह (Who was Rana Beni Madhav Singh)


कौन थे राणा बेनी माधव सिंह (Who was Rana Beni Madhav Singh)

चर्चा मे क्यों :

  •  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज रायबरेली में राणा बेनी माधव बख्श सिंह की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया ।
  • देश की आजादी के 75वें साल के मौके पर यह कार्यक्रम बेहद खास था
  •  राणा बेनी माधव सिंह को 1857 की क्रांति के उन नायकों में शुमार किया जाता है, जिन्हें इतिहास में चर्चा नहीं मिली।
  • लेकिन वह लोकनायक के तौर पर पहचान रखते हैं।
  • खासतौर पर रायबरेली जिले में स्वतंत्रता के संघर्ष का जो इतिहास है, उसमें राणा बेनी माधव का नाम अमिट है।

कौन थे राणा बेनी माधव सिंह :

  • राणा बेनी माधव सिंह रायबरेली की  शंकरपुर रियासत के राजा थे ।
  • 1856 में अवध के नबाब वाजिद अली शाह को अंग्रेजों ने पद से हटाने का फैसला लिया था
  • उसका सबसे मुखर विरोध करने वाले लोगों में राणा बेनी माधव सिंह थे।
  • ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बनाया गए रायबरेली के सलोन जिला मुख्यालय पर हुआ विद्रोह राणा के नेत्रत्व मे हुआ था ।
  • करीब 25,000 लोगों ने राणा बेनी माधव सिंह के नेतृत्व में विद्रोह किया था।
  • इसके अलावा 1857 के विद्रोह मे भी राणा ने ही राय बरेली से बिगुल फूँक दिया था ।

अवध के इलाकों को कराया था मुक्त:

  • करीब 18 महीनों तक राणा बेनी माधव सिंह के नेतृत्व में जोरदार आंदोलन चला था
  • कंपनी के चंगुल से अवध के इलाके आजाद हो गए थे।
  • इसके बाद 17 अगस्त 1857 को राणा बेनी माधव को जौनपुर व आजमगढ़ का प्रशासक नियुक्त किया गया।
  • जगह-जगह राणा बेनी माधव के नेतृत्व में जमींदारों, तालुकेदारों व स्थानीय लोग ब्रिटिश सेना का विरोध कर रहे थे।
  • राणा की गुरिल्ला युद्ध नीति के कारण अंग्रेज अधिकारी अवध को दुबारा हासिल करने में नाकाम हो रहे थे।

नेपाल मे ली थी आखिरी सांस :

  • इतिहासकारों के अनुसार लखनऊ में क्रांति का सूत्रपात 30 मई 1857 को हुआ।
  • उस समय राणा अपने 15 हज़ार सैनिकों के साथ वहां मौजूद थे।
  • बेगम हजरत महल को भी अंग्रेजों से लड़ाई में राणा बेनी माधव ने मदद की थी।
  • दिसंबर 1858 को राणा नेपाल चले गए और वहीं अंग्रेजों के साथी नेपाल नरेश राणा जंग बहादुर के साथ हुई जंग में शहीद हो गए।
  • इस घटना का उल्लेख अंग्रेज इतिहासकार रॉबर्ट मार्टिन ने हावर्ड रसेल के 21 जनवरी 1860 के एक पत्र के हवाले से किया है।
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