पर्यावरण और पारिस्थितिकी के लिए यूपीएससी तैयारी रणनीति (UPSC Preparation Strategy for Environment and Ecology)


पर्यावरण और पारिस्थितिकी के लिए यूपीएससी तैयारी रणनीति

(UPSC Preparation Strategy for Environment and Ecology)

UPSC सिविल सेवा परीक्षा में पिछले कुछ वर्षों में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। पर्यावरण कानूनों और समझौतों से संबंधित प्रश्नों में यूपीएससी प्रीलिम्स(UPSC Prelims) और मेन्स परीक्षा दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। हाल के वर्षों में इस खंड से लगभग 10-20% प्रश्न पूछे गए हैं। पर्यावरण और पारिस्थितिकी खंड के प्रश्न में राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर पर्यावरण और जैव विविधता से संबंधित विभिन्न अधिनियम और नीतियां शामिल हैं। भारतीय वन सेवा परीक्षा को सिविल सेवा परीक्षा के साथ शामिल करने के बाद पर्यावरण और पारिस्थितिकी के लिए महत्व काफी बढ़ गया है।

अब भविष्य के नौकरशाहों के लिए यह जरूरी है कि वे पर्यावरण से जुड़े ऐसे मुद्दों से अवगत हों।

ऐसा क्यों:

चूंकि 21वीं सदी में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों का उदय हुआ है, इसलिए संभावित नौकरशाहों को इस क्षेत्र में पूरी तरह से ज्ञान होना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे पर्यावरणीय मामलों से संबंधित नीति निर्माण में बेहतर ढंग से अपनी भूमिका का निर्वाह कर सके और स्थिति आने पर उनसे कैसे निपटें इसकी जानकारी रख सकें ।

अब सवाल यह उठता है कि UPSC CSE की तैयारी में इस क्षेत्र को कैसे शामिल किया जाए। UPSC CSE की तैयारी के दौरान, पर्यावरण सम्बंधित कुछ प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। जहां तक प्रारंभिक परीक्षा का संबंध है, इसमें पूछे जाने वाले प्रश्न इस खंड में कुछ बुनियादी और मौलिक ज्ञान रखने की मांग करते है। इस लिहाज़ से प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी के लिए, एनसीईआरटी की पुस्तकों(NCERT Books) को सबसे अहम् माना जाता है । प्रीलिम्स में पूछे गए प्रश्नों के पैटर्न से पता चलता है कि अधिकांश प्रश्न अक्सर पारिस्थितिकी के मौलिक ज्ञान पर आधारित होते हैं। हालाँकि, एनसीईआरटी की पुस्तकों को पढ़ते समय पहले पाठ्यक्रम का संपूर्ण ज्ञान होना अनिवार्य है ताकि कोई भी पाठ्यक्रम से विचलित न हो। अगला कदम इस खंड से यूपीएससी प्रीलिम्स में पूछे गए प्रश्नों की प्रकृति को समझने के लिए पिछले वर्ष के प्रश्न पत्रों पर एक नज़र डालना चाहिए। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दिन-प्रतिदिन होने वाली घटनाओं के कारण, यह खंड सबसे गतिशील रहता है। बढ़ते हुए वैश्वीकरण और औद्योगीकरण के कारण ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन, मानव निर्मित आपदाएं आदि जैसे कई मुद्दे सामने आए हैं, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, जैव विविधता घट रही है, प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास हो रहा है और मानव पशु संघर्ष बढ़ रहा है। अक्सर, इस तरह के बदलावों के शिकार तीसरी दुनिया के देश होते हैं। जलवायु शिखर सम्मेलन अक्सर आयोजित किए जाते हैं और ऐसी स्थितियों को रोकने के लिए कुछ समझौते और कानून पारित किए जाते हैं जिनका उद्देश्य ऐसी अभूतपूर्व घटनाओं को कम करना है।

ऐसे शिखर सम्मेलनों और विकास लक्ष्यों के इर्द-गिर्द अक्सर सवाल खड़े किए जाते हैं। इसलिए, किसी भी उम्मीदवार के लिए इन समझौतों और परंपराओं के बारे में पूरी जानकारी होना बहुत जरूरी है।

एनसीईआरटी कक्षा 12 जीव विज्ञान की पुस्तक:

NCERT Book 12th class

इस पुस्तक के अंतिम चार अध्यायों को कवर करना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें आखिरी के 4 अध्यायों में पारिस्थितिकी एवं जलवायु से सम्बन्धित अवधारणाएं सविस्तार दी गयी हैं।

दैनिक समाचार पत्र जैसे हिंदू और इंडियन एक्सप्रेस:

पर्यावरणीय समसामयिकी से जुड़े मुद्दों के लिए के लिए ये समाचार पत्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। डाउन टू अर्थ जैसी पत्रिकाएं भी पर्यावरण से जुड़े समसामयिक मामलों का महत्वपूर्ण स्रोत हो सकती हैं।
पर्यावरण और पारिस्थितिकी खंड की तैयारी के दौरान स्थैतिक और समसामयिक मामलों के हिस्से को आपस में जोड़ना भी महत्वपूर्ण है। आम तौर पर पारिस्थितिकी की बुनियादी अवधारणाओं, पर्यावरण नियम, पारिस्थितिकी तंत्र की गतिशीलता, पर्यावरण प्रदूषण, और जैव विविधता और इसके संरक्षण जैसे क्षेत्रों से प्रश्न पूछे जाते हैं। भारत सरकार और विभिन्न देशों द्वारा जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रमुख पहल और योजनाएं, ग्लोबल वार्मिंग और सतत विकास यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा में लगातार फोकस क्षेत्र रहे हैं।

माइक्रो नोट्स बनाना:

यह सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है जो रिवीजन के दौरान बहुत मददगार रहता है। आप मॉक टेस्ट भी दे सकते हैं जो आपकी तैयारी को मजबूत करने में भी मददगार हो सकता है। नोट्स को इस तरह से तैयार किया जाना चाहिए ताकि रिवीजन करने में आसानी हो। पर्यावरण से जुडी नीतियों और योजनाओं के लिए एक तालिका बना लेनी चाहिए ताकि इनसे जुड़े मुख्य बिंदुओं पर परीक्षा के समय सरसरी नज़र डाली जा सके और लाभ प्राप्त किया जा सके।

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